दिल को नुकसान पहुंचाने में कोलेस्ट्रॉल सबसे बड़ा जिम्मेदार है। यदि समय पर उनकी पहचान हो जाए, तो उम्र से पहले होने वाले ह्दय रोगों को कम करने में मदद मिल सकती है। इसका सीधा संबंध सीवीडी से है। कोलेस्ट्रॉल हृदय के स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लगभग आधे से ज्यादा रोगियों को एक अथवा उससे अधिक लिपिड घटक असामान्यताएं होती हैं। यह एलडीएल (बैड कोलेस्ट्रॉल) को बढ़ा या फिर एचडीएल यानी (गुड कोलेस्ट्रॉल) को कम कर सकता है। ऐसा डायबिटीज की वजह से भी हो सकता है। कुछ लोगों को अनुवांशिक या पारिवारिक लिपिड डिसऑर्डर भी होते है। प्राइमरी और सेकंडरी तौर पर बचाव के लिए अपने जोखिम के स्वरूप के अनुसार अपने लिपिड का पर्याप्त स्तर बनाए रखना जरूरी है।
कोलेस्ट्रॉल बढ़ने इस तरह के लोगों को होता है ज्यादा खतरा
जब अलग-अलग प्रकार के कोलेस्ट्रॉल के बीच असंतुलन होता है। तो उससे डिसलिपिडेमिया हो सकता है। जिसको स्वास्थ्य समस्या के रिु में देखा जाता है। जिसे खून में फैट्स और कोलेस्ट्रॉल के असामान्य स्तरों रक ही पहचाना जाता है। एचडीएल-सी के कम और बढ़े हुए स्तर हृदय रोगों का खतरा बढ़ाने में सहयोगी है। विशेष रुप से जिन्हें पहले से हृदय-धमनीय समस्या है, उनको अधिक खतरा होता है। 2021 के बाद अध्ययन में यह बात सामने आई कि 18.5 करोड़ भारतीयों के एलडीएल-सी का स्तर ऊंचा है।