उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि संस्थागत सहयोग ना केवल न्यायिक प्रश्नों पर निर्णय करते समय समाधान खोजने वाला अग्रदूत है, बल्कि यह न्याय तक पहुंच बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के दो दिवसीय इंटरनेशनल लॉयर्स कॉन्फ्रेंस-2023 के समारोह में बोल रहे थे। समारोह में पीएम नरेंद्र मोदी भी उपस्थित थे। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कि विभिन्न संस्थानों का अंतिम उद्देश्य एक ही है। वह है राष्ट्र की प्रगति और समृद्धि बनाना। उन्होंने कहा कि हम न्याय के हित को आगे बढ़ाने के लिए संस्थानों के बीच सहयोग के प्रचुर उदाहरणों को अकसर भूल जाते हैं। यह ना केवल बड़ी संवैधानिक चुनौतियों में बल्कि अदालतों और सरकार के बीच रोजमर्रा की बातचीत में भी सच साबित होता है। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत की संविधान पीठ वर्तमान में इस चुनौती पर सुनवाई कर रही है कि क्या हल्के मोटर वाहनों के लिए ड्राइविंग लाइसेंस रखने वाला व्यक्ति मोटर वाहन अधिनियम के तहत वाणिज्यिक वाहन चला सकता है? उन्होंने कहा कि इस मामले को एक प्रतिकूल चुनौती के रूप में देखने के बजाय, अदालत और सरकार देश भर में लाखों ड्राइवरों की आजीविका की रक्षा के लिए सहयोग कर रहे हैं। संस्थागत सहयोग के परिप्रेक्ष्य में उन्होंने 7,000 करोड़ रुपये से अधिक के वित्तीय परिव्यय के साथ ई-कोर्ट परियोजना के तीसरे चरण को मंजूरी देने के केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले का जिक्र किया। इस मंजूरी के लिए सरकार की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि यह न्याय को सुलभ बनाने के लिए सहयोग करने वाले संस्थानों का एक आदर्श उदाहरण है। मुख्य न्यायाधीश ने दलगत राजनीति विचारधारा से इतर संसद में पिछले दिनों महिला आरक्षण विधेयक को पारित करने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए सराहना की। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए विविध पृष्ठभूमि और यहां तक कि परस्पर विरोधी विचारधारा वाले लोग एक साथ आए, उसी प्रकार महिला आरक्षण का कानून पास करने के मामले में भी विभिन्न दलों के लोग एक साथ खड़े हुए। इस पर हमें गर्व करना चाहिए।