संसद के विशेष सत्र में विपक्षी नेताओं ने जमकर सरकार पर हमला किया। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि नेहरू जी का मानना था कि अगर मजबूत विपक्ष नहीं है, तो यह ठीक नहीं है। अब जब एक मजबूत विपक्ष है, तो उसे जांच एजेंसियों के माध्यम से कमजोर करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। वहीं, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने पूछा कि ये भारत, इंडिया का मुद्दा कहां से उठ गया है? उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू जब प्रधानमंत्री थे, तो देश की नींव पड़ रही थी। जो पत्थर नींव में पड़ते हैं, वे नहीं दिखते। जो दीवार पर लिखे जाते हैं वही दिखते हैं। उन्होंने सभापति से कहा कि आप बहुत दिलदार हैं। आपसे गुजारिश करता हूं कि संजय सिंह और राघव चड्डा को वापस बुला लें। आप अमीर हो गरीब हो पढ़े हो अनपढ़ हो आपका वोट एक ही होगा। अमीर लोग जैसे अदाणी, उनका भी एक ही वोट है। आप इंडी बोलो या कुछ बोलो हम लोग इंडिया हैं। नाम बदलने से कुछ नहीं होता है।
उन्होंने आगे कहा कि कई लोगों को लगता था कि भारत अंगूठा छाप देश है। हमें बार-बार टोका जाता है कि हमने 70 साल में क्या किया। हमने 70 साल में लोकतंत्र को मजबूती दी। आपके पास बोलने के लिए कुछ नहीं है, तो आप ये ही कह दीजिए।
राज्यसभा में मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि हमारे यहां सत्ता का हस्तांतरण बदूंक के दम पर नहीं हुआ। गांधी जी ने जो आजादी दिलाई वह अहिंसा पर आधारित थी। इस भवन में 75 सालों के दौरान देश की सूरत बदली है। हम तेजी से बढ़ने के लिए नेहरू जी सबको साथ लेकर चलते थे। उन्होंने अपनी पहली कैबिनेट में विपक्ष के लोगों को शामिल किया। आप तो हमारी परछाई भी नहीं देखना चाहते। उन्होंने कहा कि नेहरू जी ने विपक्ष के नेता को मंत्री बनाया। वे संसद का सम्मान करते थे। वे विपक्ष के नेताओं को ध्यान से सुनते थे। लेकिन आप लोग तो, संसद में आते ही नहीं है। उन्होंने कहा कि नेहरू मानते थे कि मजबूत विपक्ष नही होने का अर्थ है व्यवस्था में कमी है। अब मजबूत विपक्ष है तो उसके घर ईडी सीबीआई भेजी जाती है।