केंद्र सरकार ने देश में न्यायालय की कार्यवाही को ऑनलाइन करने की महत्वाकांक्षी ई-कोर्ट (इलेक्ट्रानिक- न्यायालय) योजना के तीसरे चरण को लागू करने का निर्णय लिया है। जिसके तहत चार साल में 7210 करोड़ रुपये का वित्तीय परिव्यय किया जाएगा। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमडल की हुई बैठक में फैसला किया गया है। इन निर्णयों की जानकारी देते हुए सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि मंत्रिमंडल ने ई-कोर्ट फेज तीन (तीसरे चरण) को मंजूरी दी। जिसमें 2023-24 से अगले चार वर्ष में 7210 करोड़ रुपये खर्च किए जाने है। चरण तीन का मुख्य उद्देश्य न्यायपालिका के लिए एक एकीकृत प्रौद्योगिकी मंच बनाना है। जो अदालतों, वादियों और अन्य हितधारकों के बीच एक सहज और कागज रहित इंटरफेस प्रदान करेगा। इसका उद्देश्य संपूर्ण न्यायालय रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण के माध्यम से डिजिटल, ऑनलाइन और कागज रहित अदालतों की न्याय प्रक्रिया को आसान बनाना है। तीसरे चरण इसमें कंप्यूटर, स्कैनर, वीडियो कांफ्रेंसिंग सम्मेलन सुविधा के लिए अतिरिक्त हार्डवेयर जुटाए जाएंगे। देश भर में 1150 वर्चुअल कोर्ट और 4400 पूर्णत: कार्यरत ई-सेवा केंद्र स्थापित किए जाएंगे। इसके साथ ही सौर बिजली पर आधारित ऊर्जा की बैक-अप जैसी सुविधाएं भी रहेगी। उन्होंने कहा कि ई-कोर्ट चरण तीन की केंद्र प्रायोजित योजनाएं केंद्र सरकार के न्याय विभाग, उच्चतम न्यायालय की ई-कमेटी की संयुक्त साझेदारी के तहत संबंधित राज्यों के उच्च न्यायालयों के माध्यम से विकेन्द्रीकृत तरीके से कार्यान्वित किए जाने की योजना है। इसके लिए त्रिपक्षीय समझौते किए जाएंगे। राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस (ई-शासन) योजना के तहत भारत में न्यायालयों की प्रक्रिया को डिजिटल प्रौद्योगिकी और दूरसंचार के माध्य से संचालित करने में सक्षम बनाने के लिए ई-कोर्ट परियोजना पर 2007 से ही काम चल रहा है। इसका दूसरा चारण इस वर्ष पूरा हो गया है।