सीबीआई कोर्ट ने 22 साल पुराने 12 लाख रुपये से अधिक फर्जीवाड़े मामले में सीसीएल के चार कर्मियों को दो साल की सुनाई सजा
सिविल कोर्ट रांची की अदालत ने गुरुवार को सीसीएल के सिरका कोलियरी के पदाधिकारियों व कर्मियों की मिलीभगत से एलटीसी घोटाले में शामिल चार अभियुक्तों नित्यानंद मुखोपाध्याय, एके सिन्हा, महावीर उरांव एवं एम हसन को दोषी पाकर दो-दो साल कैद की सजा सुनाई है। साथ ही चारों पर जुर्माना भी लगाया गया है। यह सजा सीबीआई के विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा की अदालत ने सुनाई है। अभियुक्तों पर बोगस बिल पर सीसीएल को 12.16 लाख रुपए राजस्व का नुकसान पहुंचाने का आरोप था। यह फर्जीवाड़ा का खेल अप्रैल 1995 से अगस्त 1995 के बीच किया गया था। सीबीआई ने साल 2001 में मामले में प्राथमिकी दर्ज की थी। मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई के लोक अभियोजक रवि कुमार ने अदालत के समक्ष कुल 53 गवाहों को प्रस्तुत किया था। साथ ही सुनवाई के दौरान विभिन्न बिलों, वाउचरों, रसीदों और प्राप्त राशि के रसीदों को चिन्हित करवाया था। अभियुक्तों पर आपराधिक षडयंत्र के तहत एलटीसी के संबंध में जो कानून था उसको ताक पर रखते हुए रिकॉर्ड में हेराफेरी करके फर्जी बिल तैयार किया गया। यह राशि कई ऐसे व्यक्तियों के नाम पर वितरित की गई, जो वास्तव में एसटीसी के प्राप्तकर्ता नहीं थे। चली लंबी सुनवाई के दौरान छह आरोपियों की मौत हो गई। चार को सजा सुनाई गई।