अब रिम्स में ब्रेन डेथ की घोषणा की जाएगी। इसको लेकर स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन की ओर से ब्रेन डेथ घोषणा के लिए प्रस्तावित मेडिकल विशेषज्ञों की टीम गठित होगे। इस तरीके से रिम्स राज्य का पहला अस्पताल होगा, जहां ब्रेन डेथ की घोषणा की जा सकेगी। यह जानकारी रिम्स के पीआरओ डॉ राजीव रंजन ने मंगलवार को पत्रकारों को दी। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, झारखंड सरकार की ओर से स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन की ओर से ब्रेन डेथ घोषणा के लिए प्रस्तावित मेडिकल विशेषज्ञों की टीम गठन को अनुमोदन प्राप्त हो गया है। केंद्रीय अधिनियम मानव अंग और ऊतक (कोशिकाओं) प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 की धारा-3 की उपधारा-6 के तहत मेडिकल बोर्ड की टीम की ओर से ब्रेन डेथ घोषित किये जाने का प्रावधान है। उन्होंने बताया कि रिम्स चिकित्सा अधीक्षक इस मेडिकल बोर्ड के अध्यक्ष होंगे। ब्रेन डेथ घोषणा के पश्चात संभावित अंगदाता की पहचान हो पायेगी। इससे अंगदान के माध्यम से अंग प्रत्यारोपण को बढ़ावा मिलेगा।
क्या होतै है ब्रेन डेथ
ब्रेन स्टेहम दिमाग के निचला हिस्सा होते है। यह रीढ़ की हड्डी से जुड़ा होता है। शरीर के महत्वपूर्ण केंद्र यानी श्वसन व हृदय को नियंत्रित करता है। रोड एक्सीडेंट, सर पर गंभीर चोट, ब्रेन स्ट्रोक अथवा ऐसी शारीरिक स्थिति जिसमें मस्तिष्क गंभीर रूप से प्रभावित होता हो , यह ब्रेन डेथ का कारण बन सकती हैं। जब डॉक्टर किसी को ब्रेन डेड घोषित करते हैं। इसका मतलब कि मस्तिष्क द्वारा सभी क्रियाओं पर विराम लग जाना। ब्रेन डेथ में मरीज के मस्तिष्क की मृत्यु हो जाती है, लेकिन कृत्रिम तरीके से वेंटीलेटर के द्वारा हृदय, डनी, लिवर दि अंगों को जीवित रखा जा सकता है। इस अंग को तभी तक जीवित रख सकते है, जब तक व्यक्ति वेंटिलेटर पर है। कुछ समय उपरांत हृदय भी काम करना बंद कर देता है। किसी व्यक्ति को ब्रेन डेथ घोषित करने से पहले कई प्रकार के परीक्षणों के आधार पर पुष्टि की जाती है। यह परिक्षण छह घंटे के अंतराल में अनुमोदित सूची में चार डाक्टरों के पैनल की ओेर से किया जाता है।