अदालत ने पुलिस अधिकारी समेत सभी गवाहों के खिलाफ जारी किया था वारंट
गैंगस्टर अमन साहू उर्फ राहुल सिंह के खिलाफ लगे आरोपों को साबित करने अदालत तक एक भी गवाह नहीं पहुंचा। वह भी एक नहीं रंगदारी मांगने से जुड़े दो अलग-अलग मामलों के गवाह नहीं पहुंचे। अदालत ने अभियोजन पक्ष को आरोप साबित करने के लिए लंबा समय दिया। अंत में अदालत ने अमन साहू को दोनों मामले में साक्ष्य की कमी दिखाते हुए बरी कर दिया। यह फैसला अनुमंडलीय न्यायिक दंडाधिकारी प्रवीण उरांव की अदालत ने सुनाई। 60 लाख रुपए रंगदारी मांगे जाने की घटना को लेकर दोनों मामला खलारी थाना में लालेश्वर महतो और अब्दुल्ला अंसारी ने दर्ज कराया था। दोनों प्राथमिकी 2020 में दर्ज कराई गई थी। अमन साव फोन करते हुए अपने आप को अपराधी सुजीत सिन्हा का शूटर बताया था। पहले मामले में गवाह सूचक लालेश्वर महतो, डी प्रजापति, तुलसी साव, भरत कुमार विश्वकर्मा और जांच पदाधिकारी बीकू कुमार रजक का नाम शामिल था। वहीं दूसरे मामले में सूचक अब्दुल्ला के साथ फिरोज अंसारी, आशिक अंसारी, सुनील सिंह, सोनू ठाकुर और दो जांच पदाधिकारी राकेश कुमार सिंह तथा अहमद अली का नाम शामिल था। इन सभी गवाहों के खिलाफ समन के बाद वारंट जारी किया गया था। लेकिन एक भी गवाह कोर्ट में हाजिर होकर गवाही नहीं दी। जिसका फायदा आरोपी अमन साहू को मिला। दोनों मामलों में कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में आरोपी को मामले से रिहा कर दिया। पहली प्राथमिकी 28 जनवरी 2020 को एवं दूसरी प्राथमिकी 15 जून 2020 को खलारी थाना में दर्ज कराई गई थी। दोनों मामले को सही पाते हुए जांच अधिकारी ने अमन साहू के खिलाफ अदालत में चार्जशीट जमा किया था। जिसके आधार पर अदालत ने संज्ञान लेते हुए आरोप गठन किया। लेकिन इसके बाद आरोप को साबित करने कोई गवाह नहीं पहुंचा।