झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत में हजारीबाग के चर्चित माहेश्वरी परिवार की आत्महत्या के मामले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई। अदालत ने मामले में सभी पक्षों को सुनने के माहेश्वरी परिवार के राजेश महेश्वरी द्वारा सीबीआई की मांग को लेकर दायर याचिका को स्वीकार कर लिया है। अदालत ने इस मामले की सीआईडी जांच को प्रथम दृष्टिया उचित नहीं मानकर निरस्त करते हुए इस मामले की जांच कर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। मामले की सुनवाई के दौरान याचिका कर्ता के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि यह मामला आत्महत्या का नहीं बल्कि हत्या का है । सीआईडी द्वारा जो जांच की गई है, वह जांच सही नहीं है । इसलिए सीआईडी जांच को निरस्त कर मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया जाए। अदालत ने प्रार्थी के अधिवक्ता के इस आग्रह को स्वीकार करते हुए उनके याचिका को स्वीकृत कर लिया है ।
मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने जांच सीआईडी को दिया था । सीआईडी ने मामले की जांच के उपरांत यह माना कि यह मामला आत्महत्या का है। परिवार पर आर्थिक दबाव बहुत अधिक हो गया था। जिसके कारण पूरे परिवार आत्महत्या कर लिया। लेकिन इस परिवार के राजेश महेश्वरी ने सीआईडी के जांच पर कई प्रश्न उठाए और जांच को हाई कोर्ट में चुनौती दी। उनके अधिवक्ता हेमंत सिकरवार ने अदालत को बताया कि सीआईडी की जांच में कई खामियां हैं । इससे स्पष्ट होता है कि सीआईडी जांच सही नहीं की है, जिसे हाई कोर्ट में भी माना।
बता दें कि 14 जुलाई वर्ष 2018 को हजारीबाग के माहेश्वरी परिवार शुभम अपार्टमेंट के तीसरे ताले पर कमरा नंबर 303 में जो खजांची तालाब के पास है। 14 जुलाई को पूरे परिवार के सभी लोगों की शव बरामद हुई। परिवार के जिन लोगों का लाश मिली उसमें महावीर अग्रवाल, पत्नी किरण अग्रवाल , उनका बेटा नरेश अग्रवाल, बहू प्रीति अग्रवाल , पोता अमन अग्रवाल और पोती अन्यवी उर्फ परी अग्रवाल शामिल है।