झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस डॉ एसएन पाठक की अदालत ने सातवीं से दसवीं सिविल सेवा परीक्षा में ऑनलाइन आवेदन में जाति प्रमाणपत्र की जगह आवासीय प्रमाणपत्र देने से उम्मीदवारी को रद्द करने के जेपीएससी के आदेश को सही ठहराया है। साथ ही प्रार्थी नवदीपिका एक्का की याचिका खारिज कर दी है। यह फैसला कोर्ट ने मंगलवार को सुनाया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि प्रार्थी ने विज्ञापन की शर्त का पालन नहीं किया है। ऑनलाइन आवेदन में जो जाति प्रमाणपत्र देना था उसके जगह पर प्रार्थी ने आवासीय प्रमाणपत्र का नंबर दिया है। बाद में उनके द्वारा जाति प्रमाणपत्र दिया गया है। जबकि विज्ञापन के अनुसार ऑनलाइन एप्लीकेशन में ही जाति प्रमाणपत्र दिया जाना चाहिए था, जिसे आरक्षित श्रेणी के सफल कैंडिडेट का वेरिफिकेशन हो सके। दरअसल, सातवीं से दसवीं जेपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में जो रिजर्व कैटेगरी के कैंडिडेट सफल हुए थे उन्हें ऑनलाइन आवेदन में जाति प्रमाणपत्र को मेंशन करना था। पूर्व में सुनवाई के दौरान जेपीएससी की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल ने कोर्ट को बताया था प्रार्थी ने ऑनलाइन आवेदन में अपने जाति प्रमाणपत्र की बजाय आवासीय प्रमाणपत्र का नंबर डाल दिया था। हालांकि बाद में उसने अपना दूसरा जाति प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया था, जेपीएससी ने वेरिफिकेशन के दौरान प्रार्थी द्वारा ऑनलाइन आवेदन में जाति प्रमाणपत्र नहीं दिए जाने के कारण उसकी उम्मीदवारी को रद्द कर दिया था।