संविधान दिवस पर शहीद मैदान धुर्वा में आरक्षण अधिकार महारैली : कैलाश यादव
ओबीसी अपने हक और अधिकार के लिए आवाज बुलंद करेगा। 27 प्रतिशत आरक्षण और जातीय जनगणना समेत 12 सूत्री मांगो पर संविधान दिवस के दिन शहीद मैदान धुर्वा में आरक्षण अधिकार महारैली किया जएगा। इस बात को लेकर ओबीसी सम्मेलन में फैसला लिया गया है। ये बाते रविवार को झारखंड ओबीसी आरक्षण मंच के बैनर तले पुराना विधानसभा हॉल में आयोजित राज्यस्तरीय ओबीसी सम्मेलन मंच के अध्यक्ष कैलाश यादव ने कही। दरअसल पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत आरक्षण में कटौती कर ओबीसी, एससी और अल्पसंख्यक समाज के अधिकारों के मद्देनजर मंथन किया गया। कैलाश यादव ने कहा कि आरक्षण में कटौती कर ओबीसी, एससी और अल्पसंख्यक समाज के अधिकारों पर राज्य और केन्द्र सरकार सौतेला व्यवहार कर रही है। यह बाबा साहब अम्बेडकर के आत्मा पर कुठाराघात है। सम्मेलन में बतैर मुख्य अतिथि विधायक उमाशंकर अकेला, विधायक राजेश कच्छप, विधायक अंबा प्रसाद, पूर्व मंत्री विनोद कु यादवेंदु,पूर्व विधान परिषद उपेंद्र कुशवाहा,पूर्व विधायक गौतम सागर राणा ने सरकार से प्रदेश में अविलंब ओबीसी को 27 प्रतिशत और अनुसूचित जाति को 14 फीसदी आरक्षण लागू करने की मांग पर सहमती जतायी। उन्होंने ने कहा कि समाजिक विकास के विषय पर जल्द फैसला लेना चाहिए।
ओबीसी, एससी और अल्पसंख्यक समाज पर विधायक ने क्या कहा
प्रदेश में दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यक को जनरांदाज कर सरकार चलाना नामुमकिन। हेमंत सरकार को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का वादा पूरा करना होगा। समाज को अपने अधिकारों के लिए एकजुट होना जरूरी : अम्बा प्रसाद ( विधायक)
आरक्षण सीमा बढ़ाने को लेकर सरकार गंभीर है। अपने हक को छेड़ा नहीं जा सकता है। अधिकार लेने के लिए लोहिया,जेपी,कर्पूरी के जैसा जनांदोलन करना होगा। अधिकारों के लिए सरकार पर दवाब बनाना जरुरी : उमाशंकर अकेला (विधायक)
दलित,पिछड़े,आदिवासी अल्पसंख्यक समाज विकास की रीढ़ होते हैं। राज्य में 90 फीसदी आबादी के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है। आरक्षण बहुसंख्यक समाज का मौलिक अधिकार है। सरकार पर दबाव बनाना जरूरी है : राजेश कच्छप (विधायक)
झारखंड में जल जंगल जमीन की रक्षा के नाम पर छलावा है। सरकार को राज्य में विस्थापन आयोग बनाने की लंबित मांग को पूरा करना चाहिए। हेमंत सरकार दलित, पिछड़े, आदिवासी, अल्पसंख्यक समाज को उपेक्षित कर रहे हैं : गौतम सागर राणा (पूर्व विधायक)
झारखंड आंदोलन और त्याग से बना है। यहां के लोग देशभर में नौकरी पेशा करते हैं। विस्थापन पर रोक लगाने की जरूरत होनी चाहिए। राजनेताओं को भेद भाव के व्यवहार से बचना चाहिए। 27 प्रतिशत आरक्षण पिछड़ों का मौलिक अधिकार : विनोद कु यादवेंदु (पूर्व मंत्री)
झारखंड और बिहार एक ही मां बाप के दो बेटे हैं। दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदाय के साथ अन्याय उचित नहीं है। सरकार हर हाल में आरक्षण लागू करें। अन्यथा जनांदोलन का रूप अख्तियार करना लोकतांत्रिक मूल्य है : उपेंद्र प्र कुशवाहा (पूर्व एमएलसी )
राज्य में अल्पसंख्यक समुदाय सबसे ज्यादा उपेक्षित हुआ। सरकार को मदरसा, शिक्षा और वक्फ बोर्ड गठन अविलंब करनी चाहिए : आबिद अली ( ओबीसी आरक्षण मंच कार्यकारी अध्यक्ष)
समाजिक संतुलन बनाने के लिए सरकार से प्रमुख मांगे
ओबीसी के 14 से 27 प्रतिशत और अनुसूचित जाति के 10 से 14 फीसदी आरक्षण सीमा बढ़ाने पर राज्य सरकार स्वयं लागू करें। केंद्र सरकार को नौवी सूची के तहत भेजना अनुचित
राज्य में जातीय आधारित जनगणना अविलंब सुनिश्चित करने
पंचायत और नगर निकाय चुनाव में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद पर ओबीसी, एससी को पुरानी रोस्टर के तहत आरक्षित करने का निर्णय लेने,
जाति व आवासीय प्रमाण पत्र बिना शर्त निर्गत करने की अधिसूचना जारी और सभी वर्गो के बच्चों को छात्रवृत
ओबीसी आरक्षण मंच के सम्मेलन में इन्होंने भी रखे अपने विचार
कार्यक्रम में सरोज यादव, राजमणि देवी, बीएल पासवान, मुफ्ती मो अजहर कासमी, ललन यादव, रामकुमार यादव, नंदन यादव, गौतम साहू, हरिओम साहू, संतोष सोनी, मदन लाल दास, शारदा देवी, गोल्डन यादव, परवेज अंसारी, नंदन यादव ने भी अपने हक व अधिकारों पर प्रभावशाली ढ़ग से अपने विचारों को रखा।
सम्मेलन में तीन महत्वपूर्ण प्रस्ताव हुए पारित
ओबीसी और एससी आरक्षण सीमा बढ़ाने की मांग को लेकर 26 नवंबर यानी संविधान दिवस पर आरक्षण अधिकार महारैली शहीद मैदान धुर्वा में राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित करने
संगठन में महिलाओं, युवाओं को उचित स्थान दिया जायेगा और कमेटी में फेर बदल कर सक्रिय लोगो को जिम्मेवारी सौंपने
महत्वपूर्ण विषयों को लेकर जल्द मंच का प्रमुख शिष्टमंडल राज्यपाल और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात कर ज्ञापन देगे