झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस सुभाष चंद्र की अदालत में बुधवार को सीएम हेमंत सोरेन का काफिला रोके जाने के मामले का मुख्य आरोपी भैरव सिंह की ओर से दायर क्रिमिनल रिवीजन पर सुनवाई हुई। अदालत ने भैरव सिंह की याचिका खारिज कर दी। इससे पहले सुनवाई के दौरान राजकीय अधिवक्ता मनोज कुमार ने भैरव सिंह की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि निचली अदालत का फैसला सही है। भैरव सिंह के खिलाफ कई साक्ष्य मिले हैं जिसके आधार पर निचली अदालत ने उनके डिस्चार्ज अर्जी को खारिज कर दी है। दरअसल, भैरव सिंह की ओर से निचली अदालत द्वारा डिस्चार्ज अर्जी खारिज किए जाने एवं आरोप गठन किए जाने को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है।
क्या है मामला :
बताते चले कि चार जनवरी 2021को सुखदेवनगर थाना क्षेत्र के किशोरगंज में भैरव सिंह एवं उसके साथी ओरमांझी में सिर कटा शव मिलने के बाद विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। इसी दौरान सीएम हेमंत सोरेन सचिवालय से आवास की ओर जा रहे थे। विरोध प्रदर्शन के दौरान उनका काफिला रुक गया। पुलिस ने जब उपद्रवियों को हटाने की कोशिश की तो झड़प हो गई। जिसमें तत्कालीन यातायात थाना प्रभारी नवल किशोर सिंह बुरी तरह घायल हो गए। इस मामले में भैरव सिंह सहित 74 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी कांड संख्या 5/ 2021 दर्ज करायी गई थी। मामले में 7 जनवरी को भैरव सिंह ने रांची सिविल कोर्ट में आत्मसमर्पण किया था। निचली अदालत से भैरव सिंह की जमानत याचिका खारिज होने के बाद उन्होंने हाईकोर्ट में जमानत के लिए याचिका दायर की थी। 26 जुलाई 2021 में हाई कोर्ट से उन्हें जमानत मिली थी।
मुख्यमंत्री के काफिला रोके जाने के मामले के मुख्य आरोपी भैरव सिंह को राहत नहीं, हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका, डिस्चार्ज अर्जी खारिज होने और आरोप गठन को दी थी चुनौती
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