सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 पर तीसरे दिन सुनवाईउच्चतम न्यायालय में अनुच्छेद 370 हटाने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर लगातार तीसरे सुनवाई हुई। शीर्ष अदालत ने कहा कि हमारे जैसे संवैधानिक लोकतंत्र में जनमत संग्रह का कोई सवाल ही नहीं है। लोगों की राय केवल स्थापित संस्थानों के जरिए ही मांगी जा सकती है।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व में पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता मोहम्मद अकबर लोन की ओर से पेश वकील कपिल सिब्बल से कहा, आप ब्रेग्जिट जैसी जैसी स्थिति की कल्पना नहीं कर सकते। यह एक राजनीतिक फैसला है, जो तत्कालीन सरकार की ओर से लिया गया था। हमारे जैसे संविधान के भीतर जनमत संग्रह का कोई सवाल ही नहीं है। सुनवाई के दौरान सिब्बल ने ब्रेग्जिट का उदाहरण दिया था, जहां जनमत संग्रह कराया गया था जबकि जनमत संग्रह की मांग करने वाला कोई संवैधानिक प्रावधान वहां नहीं था। उन्होंने कहा, किसी भी रिश्ते को तोड़ने से पहले लोगों की राय जरूर लेनी चाहिए क्योंकि फैसले के केंद्र में लोग ही होते हैं। इस पर पीठ ने कहा, जब तक लोकतंत्र मौजूद है, लोगों की इच्छा स्थापित संस्थानों की ओर से ही व्यक्त की जानी चाहिए।
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