केंद्रीय पुलिस सुरक्षा बलों और असम राइफल्स में बीते पांच सालों में पचास हजार से ज्यादा जवानों ने या तो नौकरी छोड़ दी है या फिर रिटायर हो गए हैं। सरकार ने एक सवाल के जवाब में लोकसभा में यह लिखित जानकारी दी। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने जवाब में बताया कि बीते पांच सालों में अर्द्धसैनिक बलों के 53,336 जवानों ने नौकरी छोड़ी है। कांग्रेस नेता मणिकम टैगोर ने अर्द्धसैनिक बलों के काम के हालात को लेकर सवाल पूछा कि क्या ये सही है कि बीते पांच सालों में अर्द्धसैनिक बलों के 50 हजार से ज्यादा जवानों ने नौकरी छोड़ दी है? साथ ही अर्द्धसैनिक बलों द्वारा आत्महत्या की घटनाओं की भी जानकारी मांगी गई थी। इसके लिखित जवाब में गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि बीते पांच सालों में अर्द्धसैनिक बलों के 53,336 जवानों ने नौकरी या तो छोड़ दी है या फिर रिटायरमेंट ले लिया है।
बीते पांच सालों के दिए आंकड़े
वर्षवार आंकड़ा देते हुए नित्यानंद राय ने बताया कि साल 2018 में अर्द्धसैनिक बलों के 9228 जवानों ने वीआरएस लिया और 1712 रिटायर हुए। 2019 में 8908 जवानों ने वीआरएस लिया और 1415 जवान रिटायर हुए। 2020 और 2021 में क्रमशः 6891 और 10,762 जवानों ने वीआरएस लिया। साल 2022 में सबसे ज्यादा जवानों ने नौकरी छोड़ी। सरकार द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, 2022 में 11,211 जवानों ने वीआरएस लिया और 1169 जवान रिटायर हुए। इस तरह बीते पांच सालों में कुल 47000 अर्द्धसैनिक बलों के जवानों ने वीआरएस लिया है और 6336 जवान रिटायर हुए हैं।
आत्महत्या की घटनाएं
सरकार द्वारा दिए गए जवाब के अनुसार अर्द्धसैनिक बलों में बीते पांच सालों में 658 जवानों ने आत्महत्या की। इनमें 2018 में 96 जवानों ने आत्महत्या की। इसमें 36 जवान केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स, 32 बीएसएफ, 5 आईटीबीपी, 9 एसएसबी, 9 सीआईएसएफ और 5 असम राइफल्स के जवान शामिल थे। इसी तरह 2019, 2020, 2021 और 2022 में यह आंकड़ा क्रमशः 129, 142, 155, 136 रहा। सरकार ने बताया कि अर्द्धसैनिक बलों के काम के माहौल को बेहतर बनाने और उनके कल्याण के लिए सरकार की ओर से लगातार कदम उठाए जा रहे हैं।
अर्द्धसैनिक बलों के 53,336 जवानों ने बीते पांच सालों में छोड़ी नौकरी, 658 ने की आत्महत्या
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