केंद्र सरकार में एक तरफ नौकरी लेने वालों की कतार लंबी हो रही है। वही दूसरी ओर सरकारी नौकरियों पर लगातार कैंची चलना जारी है। केंद्र में 11 लाख और तो सार्वजनिक उद्यमों में 4 लाख पद खाली पड़े हैं। एआईटीयूसी के राष्ट्रीय सचिव सी.श्रीकुमार के मुताबिक वर्तमान सरकार ने आश्वासन दिया था कि देश के बेरोजगार युवाओं को हर साल 2 करोड़ नौकरियां उपलब्ध कराई जाएंगी। 2012-13 से 2021-22 की अवधि के लिए हाल ही में प्रकाशित सार्वजनिक उद्यम सर्वेक्षण रिपोर्ट से पता चलता है कि केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों, सरकारी निगम और सरकारी सहायक कंपनियां, जो 17.3 लाख लोगों को नौकरियां प्रदान कर रहे थे। मार्च 2022 के दौरान घटकर वह संख्या 14.6 लाख रह गई है।
खत्म हो गए 3.84 लाख रोजगार
सार्वजनिक क्षेत्र के सात उद्यमों में 3.84 लाख रोजगार खत्म हो गए। इन उद्यमों में ठेके व संविदा वाले कर्मचारियों की संख्या 19 प्रतिशत से बढ़कर 42 प्रतिशत हो गई है। अच्छी नौकरियां देने वाली इन कंपनियों से रोजगार खत्म क्यों किया जा रहा है।
सीपीएसयू/निगमों में 42.5 प्रतिशत कार्यबल नियमित नहीं
एआईटीयूसी के मुताबिक 389 सीपीएसयू में एक सर्वेक्षण किया गया था। इनमें से 284 उद्यम अभी भी चालू हैं। इनकी नौकरियों में 2.7 लाख से अधिक गिरावट आई है। कुल कार्य बल में से 17 प्रतिशत अनुबंध के आधार पर और 2.5 प्रतिशत स्टाफ, आकस्मिक और दैनिक वेतन के आधार पर काम कर रहा है। 2022 में अनुबंध श्रमिकों की संख्या बढ़कर 36 प्रतिशत हो गई है। वहीं आकस्मिक व दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों की संख्या बढ़कर 6.6 प्रतिशत है।
रक्षा मंत्रालय में खाली पड़े हैं 2.9 लाख सिविल पद
सी श्रीकुमार के अनुसार केंद्र में अकेले रक्षा मंत्रालय के सिविल पदों की बात करें ,तो 2.9 लाख पद खाली पड़े हैं। वे एआईडीईएफ की ओर से इन पदों को भरने के लिए लड़ रहे हैं। बैंकिंग और बीमा क्षेत्र में भी नौकरियों की स्थिति ठीक नहीं है। वर्ष 1994 के दौरान केंद्र सरकार के कर्मचारियों की स्वीकृत संख्या 41.76 लाख थी, जो आज घटकर 30 लाख रह गई है। केंद्र सरकार के मंत्रालयों और विभागों में 11 लाख से ज्यादा पद खाली हैं। वही रेलवे में 3.5 लाख, रक्षा विभाग में 2.90 लाख और डाक विभाग में 1 लाख पद खाली पड़े हैं।